उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
– बशीर बद्र
बात नब्बे के दशक की है , जिसको मैंने अपने बचपन में जिया है ।
उससे पहले कुछ यादें कुछ बातें…
( Image credit: reddit )
“जब पहले बॉल पे आप आउट हो जाए तो हम में से सभी ने यह कहा होगा अरे चल चल पहला बॉल तो ट्रायल बॉल होता है ”
“किसी की ओवर अच्छी नहीं जा रही तो कहते थे , भाई तू बेबी ओवर कर ले ”
“जिसको लास्ट में बटेंग मिली थी वो भी एक या दो बॉल वो हमेशा कहता था, के मैं लास्ट में गया था इसलिए फर्स्ट ओवर मैं करूँगा”
और आपने वो कहावत तो सुनी होगी जिसकी लाठी उसी की भैंस वैसे ही जिसकी बैट उसी की बैटिंग हुआ करती थी
वन टिप वन हैंड आउट – छत पे या घर में या खण्डार में बॉल गयी तो आउट – घर के अंदर जो शॉट मरेगा वही बॉल मांगने जायेगा।
कोई एक ऐसे अंकल-आंटी का घर जरूर होता जिनका नाम ही खड़ूस अंकल – खड़ूस आंटी रख देते थे, क्यूंकि उनके घर कभी भी बॉल जाए वो वापस देते ही नहीं थे ।
Jhonty Rhodes बनने के चक्कर में डाइव मारके कैच करने या रन-आउट होने से बचने में कभी नए कपडे फट जाते, तो कभी खरोच लग जाती, जिसे घर में छुपाते रहते… कहीं पता चल गया तो फिर डांट पड़ेगी ।
के हम उस जनरेशन के हैं जहाँ रोते हुए बच्चे को चुप करने के लिए और मारा जाता था ।
मैं इस ब्लॉग से रिलेटेड हमारी टीम के सदस्य केयूर भाई से बात कर रहा था नास्टैल्जिया और गल्ली क्रिकेट की… तो उन्होंने एक लाइन कही
के , स्कूल में अच्छे रैंक से मिली ट्रॉफी से ज्यादा गल्ली क्रिकेट की टूर्नामेंट में जीती हुई छोटी ट्रॉफी की एहमियत ज्यादा होती थी । हमेशा शो-केस में चमका के रखते उसको ।
यहाँ तक के 10th और 12th बोर्ड नजाने कितने ऐसे upcoming raw क्रिकेट खेलने वाले टैलेंट को हर साल निगल जाता ।
किसी जबरदस्त मैच में अगर कोई अच्छा खिलाडी आउट हो जाता तो कई बार अम्पायर से झगड़ा हो जाता के अम्पायर को
क्या ताम्बूडा पता चलता है ।
एक बंदा हर टीम में ऐसा होता जो बहोत गुस्से वाला होता जल्दी आउट हो जाए या विकेट न ले पाए ,कैच छूट जाय तो बैट पछाड़ता , चेहरा गुस्से से लाल पीला हो जाता और फिर एक नमूना ऐसा होता जो बात बात कमेंटरी करता नॉन-स्टॉप।
एक टाइम ऐसा भी होता के हर कोई बॉलर को नसीहत देता के गूगली डाल , बाउंसर दाल , स्पिन कर स्पिन…उस टाइम में memes नहीं होते थे लेकिन बॉलर ऐसे ही देखता था
जैसे मानो कह रहा हो…
अगर आप स्कूल के ग्राउंड पे मैच खेल रहे PT के पीरियड में या फिर सोसाइटी में खेल रहे और आपको जिसपे क्रश है वो छत से मैच देख रही है, खिड़की से देख रही है या वहीँ आस पास है। तब भगवान याद आ जाता के हे प्रभु बस इस वक़्त मेरे अंदर सचिन तेंदुलकर की आत्मा आ जाय… सिक्स मार दू बस या अगर फील्डिंग कर रहे होते तो डाइव मार के कैच कर लूँ बस।
आज भी उन बातो को याद करके हंसी आती है ।
अब तो
” इतवार मुंह फुला कर बैठा है दीवार पर लटके उस कैलेंडर में …
उसे कैसे समझाऊं, बहुत कुछ बदल गया है यहाँ … “
– मिथलेश बरिआ #Mbaria
जब में करीब दस- बारह साल का था ( यह वही नब्बे के दशक की बात है ) और यहाँ तक टीन ऐज तक क्रिकेट का काफी शौक था।
हालांकि न मुझे बैटिंग अच्छी आती थी न बोलिंग,
पूरी किट हुआ करती थी मेरे पास, जिसका उपयोग मुझसे ज्यादा मेरी सोसाइटी के दोस्त करते थे।
खेर , मुझे बस खेलना में मज़ा आता, चाहे वो लोग मेरे न खेल पाने का मज़ाक क्यों न बनाये।
अगर आप नब्बे के दौर के हैं, तो आपको इंडिया vsऑस्ट्रेलिया का 1996 वाला टाइटन कप का मैच याद ही होगा। सचिन से लेके सारे बड़े बड़े प्लेयर्स आउट हो गए थे… सब उम्मीद हार गए थे ,
जिसमे नाइन्थ प्लेयर की पार्टनरशिप में अनिल कुंबले और जवागल श्रीनाथ
( दोनों bowler ‘s ) ने 52 रन की पार्टनरशिप से इंडिया को मैच जीता दिया था।
ठीक उसी तरह, मैंने उस मौके पे भी मैच जीताया है दोस्तों को जिसपे सारे
धुरंधर खिलाडी आउट हो गए थे। क्यूंकि मुझे ख़ास बैटिंग आती नहीं थी….
दो चार बॉल खेल के हमेशा आउट हो जाने वाले से टीम उम्मीद भी क्या रखेगी। मैं ही बचा था लास्ट में…यूँ समजो सब निराश थे के अब तो हार ही गए।
शायद वो पल वो दिन मेरे नाम था। लास्ट में एक बाल में तीन रन चाहिए जीतने को, four मरने के चक्कर में ढंग का शॉट मेरा लगा नहीं…सिंगल रन भागा पर फील्डर से ओवर-थ्रो में गलती हुई , और तीन रन भागने में मिल गए और जीत गए।
तब लगान नहीं आयी थी वरना मैं भी कहता
फीलिंग्स वैसे ही है….
खेर उस मैच के बाद मैं पानी पीने चला गया लौट के आया तो सब बैठे थे एक circle बना के दोस्त लोग और कुछ हमसे बड़ी उम्र वाले सोसाइटी के लड़के भी आके बैठे थे,
अगले दिन कोई मैच था इंडिया का, सब लोग खिलाडी चुन ने लगे, अब मैं ठहरा मासूम मुझे क्या ही पता क्या चल रहा है।
मैंने भी अजय जडेजा ले लिया मुझे ऐसा ये लोग खिलाडी बुलाएँगे यहाँ मैच खेलने को ,
इतनी समज थोड़ी थी और दस बारह साल के लड़के से आप समज की उम्मीद भी क्या करेंगे।
खेर दिन पूरा हुआ , मैं मन में excited के कल खिलाडी आएंगे खेलने हमारे यहाँ।
फिर शाम को एक दोस्त से पता चला के खिलाडी विलाड़ी नहीं आएंगे। उन सब ने शर्त लगायी थी ,
शर्त माने सट्टा, बचपन से यही सीखा था शर्त लगाना जुआ खेलना सट्टा लगाना बुरी बात है।
मन में गिल्ट होने लगा के यार मैंने अनजाने में शर्त लगा दी वो भी पैसो की।
अगर घर पे पता चल जायेगा तो शामत आ जाएगी । जैसे तैसे हिम्मत करके मैंने मेरे बड़े भैया को बताया के,वो मुझे पता नहीं था वो लोग शर्त लगा रहे थे।
तो मेरे भाई ने कहा तू चिंता मत कर, तुझसे जब कोई कुछ कहे तब मुझे कहना।
फिर भी सारी रात चिंता रही के साला कल क्या होगा।
अगले दिन का मैच बारिश के कारण रद्द हो गया और जैसे तैसे मैं बच गया । उसके बाद मन में दृढ निश्चय कर लिया के कुछ भी हो जाय क्रिकेट में कभी शर्त नहीं लगाऊंगा सट्टा नहीं खेलूंगा।
अब चूँकि आईपीएल वगैरे चल रहा है अब तो ऑनलाइन ऍप्लिकेशन्स आ गयी है, जो के मुख्य स्पोंसर्स में से एक है ।
होता वही है सब अलग अलग खिलाडी चुनते है पॉइंट्स और पैसो से शर्त लगाते है। everything is official इन आईपीएल क्रिकेट एंड………… खेर लिखना क्या आप समझदार है ।
वैसे इस साल दो हज़ार बीस में जितनी हमदर्दी लोगो की RCB के साथ है उतनी शायद ही किसी टीम के साथ रही होगी।
हर रोज़ नयी मैच में नए memes बनते है ट्विटर पर,
memes भले बनाओ पर सट्टा न लगाओ
इस कोरोना काल में पैसो की एहमियत उससे पूछो जिसकी नौकरी चली गयी। अगर आप पर ईश्वर की कृपा है तो उसे वैस्ट न करे,
दुसरो की मदद करें और किसी भी तरह के जुए और सट्टे से बचें । क्रिकेट खेलें – matches देखिये पर किसी भी तरह के ऐसे एप्प्स पर अपने पैसे बर्बाद न करें ।
अपनों और अपने nears & dears की
“खैरियत पूछो कभी तो कैफियत पूछो” ।
Stay Safe & Take Care
– Dilip Rangwani
( Team Flashback Stories )
Vaibhav Mandre
Bahot hi mast blog he, I remembered some of my memories, while reading this .
Nice piece of work, keep it up.😊🙂🤩
Flashback Stories
Thank you vaibhav 🙂
Sunil asnani
Bahut hi bariya old is gold
Es kahani ko padh ke mano vo samay samne akho ke agey ghum rha hai.
But good writting good thought
And thank u very much dilip rangwani
Agey baro
Flashback Stories
Thank you bhai 🙂
Vishal
Awesome
Hamaare gaav me jab kisi ko team me nahi lete the to next morning wo faawade se pitch bigaad deta tha 🤣🤣
Wo bhi kya din the Awesome
Dilip Bhai 🔥🔥
Flashback Stories
hahaha yes awesome memories
Thank you 🙂 I am glad this reminded you some nostalgic memory 😀
Vijay Goplani
लाजवाब!👌
बचपन की यादें ताजा हो गई ।
Flashback Stories
Thank you 🙂
Poorva bhawsar
Wow padhte ki bachpan ki yad aa gyi
One tip one hand aur ghar chhat wala rule humara b tha 😂 me humesha batting le k nikal leti thi 😂😂 sachin ne batting ki value itni badha di thi k bowling and fielding koi ni krta tha
Love it keep it up
Dilip Rangwani
Thank you so much 🙂
Tum toh lagti hee ho bachpan se games me cheating karne wali 😀 😀 😀
just kidding 😉
I am glad you felt connected & this reminded you some nostalgic memories 🙂
– Dilip
Yashvant Sharma
Hahahaha paheli baat to bhai ye jo apne blogs likha hai ye mano sabhi ki kahani hai koi isase apna palda nahi jhaar sakta maine to jab se padhana shuru kiya tabhi se chehare pe smile aayi aur pura padhane ke baad bhi kuchh der apne kisse yaad karke smile kar raha tha baad me jo satte me paise lagane wali baat hai usse to bahut karib se relate kar sakta hu kyuki mere kuchh Friends hai jo kisi app me paise lagate the par unko samjhane ka koi fayda nahi hai karte apne man ka hi hai
Flashback Stories
Mujhe khushi hai ke is blog ne tumhe tumhare beete sunhere dino ki yaad dilaai
Thank you bro 🙂
Yashvant
Hahahaha paheli baat to bhai ye jo apne blogs likha hai ye mano sabhi ki kahani hai koi isase apna palda nahi jhaar sakta maine to jab se padhana shuru kiya tabhi se chehare pe smile aayi aur pura padhane ke baad bhi kuchh der apne kisse yaad karke smile kar raha tha baad me jo satte me paise lagane wali baat hai usse to bahut karib se relate kar sakta hu kyuki mere kuchh Friends hai jo kisi app me paise lagate the par unko samjhane ka koi fayda nahi hai karte apne man ka hi hai