By: Flashback Stories On: December 01, 2020 In: Blog Comments: 18

मानवता एक सागर की तरह है, यदि सागर की कुछ बूंदे खराब हैं तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता है। – मोहनदास गांधीकहा गांधीजी ने, कुछ लोगो ने साबित किया । इसमें मनोज बाजपाई और उनके मित्र की कर्ज़े की बात हो या फिर बिज़नेस राइवल कंपनी ने...

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By: Flashback Stories On: October 03, 2020 In: Blog Comments: 13

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते– बशीर बद्र बात नब्बे के दशक की है , जिसको मैंने अपने बचपन में जिया है । उससे पहले कुछ यादें कुछ बातें… ( Image credit: reddit ) “जब पहले बॉल पे आप आउट...

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By: Flashback Stories On: April 29, 2019 In: Blog Comments: 0

यहाँ आज के ब्लॉग मे मैं जो बात… आज करने वाला हूँ वो दो अलग-अलग incidents है वैसे तो यह दोनों घटनएं बहोत आम है लेकिन मुझे लगा शायद इसके बारे में कुछ लिखना चाहिए उनमे से एक है अभी कुछ दिन पहले… मेरी मौसी एक रिक्शा से कहीं...

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By: Flashback Stories On: November 07, 2018 In: Blog, Poetry Comments: 7

લખો, લખો કે છે તમને તો ટેવ લખવાની, બધાં તમારા આપઘાતના હિસાબ લખો આ કાળા પાટિયાનો ખોફ કેમ રાખો છો? તમે સમર્થ છો, લ્યો ચોક, ‘આફતાબ’ લખો. રમેશ પારેખ   અમે જ્યારે Flashback Stories મા Pen, Poetry, Mic ની શરૂઆત કરેલી ત્યારથી રમેશ પારેખની આ પંક્તિઓ ધ્રુવ તારાની માફક...

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